नई दिल्लीः अगर आपने बैंकों से क्रेडिट कार्ड (Credit Card) ले रखा है तो फिर यह खबर किसी बड़े झटके की तरह है. क्रेडिट कार्ड (Credit Card) यूजर्स के लिए अब देश की शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने बड़ा फैसला लिया है. अगर क्रेडिट कार्ड के बिल पेमेंट (Credit Card Bill Payment) में देरी हुई तो फिर बंपर ब्याज देना पड़ेगा. क्रेडिट कार्ड ग्राहकों को अब 36 से 50 प्रतिशत ब्याज के साथ भुगतान करना पड़ सकता है.

सर्वोच्च न्यायलय (Supreme Court) ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए 2008 का नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट कमीशन का फैसला पूरी तरह से कैंसिल कर दियया. उस समय इस फैसले देरी से फीस के तौर पर अधिकतम 30 फीसदी ब्याज का आदेश दिया गया था. अब नए फैसले में बैंक क्रेडिट कार्ड लेट पेमेंट फीस पर 36 से 50 प्रतिशत तक ब्याज ले सकेंगे. नए साल से पहले कोर्ट का यह फैसला बैंकों के लिए राहत तो क्रेडिट कार्ड ग्राहकों के लिए झटका माना जा रहा है.

समझिए क्या है पूरा मामला?

दरअसल. साल 2008 में एनसीडीआरसी (Ncdrc) ने एक फैसले में क्रेडिट कार्ड (Credit Card) यूजर्स से 36 से 50 फीसदी प्रति वर्ष ब्याज लेना बहुत ज्यादा बताया था.इसे गलत करार देते हुए देरी से जमा करने पर फीस के लिए ब्याज की सीमा 30 फीसदी ही कही दी थी. अब एनसीडीआरसी (Ncdrc) के इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पूरी तरह रद्द कर दिया, जिसे बैंकों के लिए किसी बड़ी राहत के तौर पर माना जा रहा है. इस फैसले का असर किन ग्राहकों पर पड़ने वाला है.

किन ग्राहकों पर पड़ेगा असर?

जो कस्टमर क्रेडिट कार्ड (Credit Card) का बिल जमा करने में देरी करते हैं तो यह किसी बड़े झटके की तरह है. ऐसे ग्राहकों के लिए देरी से बिल जमा करने पर ग्राहकों को 36-50 प्रतिशत का ब्याज वसूल सकते हैं. कोर्ट ने 20 दिसंबर को इस बारे में आदेश जारी भी जारी किया है. कोर्ट में सुनवाई करते हुए जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अगुवाई वाली पीठ ने यह फैसला दिया है.

दायर की गई थी याचिका

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यह फैसला यूं ही नहीं दिया, जिसके पीछे 16 वर्ष लंबे चले मामले को भी देखा जा रहा है. एनसीडीआरसी (Ncdrc) की तरफ से 7 जुलाई 2008 को इस मामले में फैसला सुनाया था कि आखिरी तारीख तक क्रेडिट कार्ड (Credit Card) को पूरा बिल नहीं चुकाने वाले लोगों से 30 फीसदी से ज्यादा ब्याज नहीं लिया जाएगा. इस कड़ी में इस निर्णय के खिलाफ कई बैंक जैसे एचएसबीसी, सिटीबैंक और स्टैंडर्ड चार्ज बैंक ने अर्जी लगाई थी और अब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए ग्राहकों को झटका दिया है.