नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के संभल जामा मस्जिद सर्वे के दौरान भड़की हिंसा (Sambhal Violence) में अब सियासत की एंट्री हो गई है. दिल्ली से लेकर लखनऊ और संभल तक सियासी आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. संभल में चप्पे-चप्पे पर पुलिसबल की तैनाती के बीच समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधि मंडल लोगों से मिलने आज जाने वाला था, लेकिन प्रशासन ने अनुमति नहीं दी.
हालांकि, इंटरनेट सेवा जरूर बहाल हो गई है, लेकिन संभल में स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए जगह-जगह पुलिसकर्मी तैनात हैं. आला अफसर भी लगातार गश्त कर रहे हैं. सदन में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय को पुलिस ने नजरबंद कर दिया है. सपा के प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल को भी संभल जाने से रोक दिया है, जिनके घर के बाहर भारी पुलिसबल की तैनाती कर दी गई है.
सपा के इन नेताओं को पुलिस ने रोका
यूपी-दिल्ली बॉर्ड से लेकर मुरादाबाद तक पुलिस ने सपा नेताओं के संभल पहुंचने के मंसूबों पर पानी फेर दिया. मुजफ्फरनगर से सपा सांसद हरेंद्र मलिक को यूपी पुलिस ने गाजीपुर बॉर्डर पर ही रोक दिया . संभल के सांसद जिया-उर-रहमान बर्क के काफिले को भी गाजीपुर बॉर्डर के पास ही रोका गया है. इनके अलावा पार्टी के कई सीनियर नेताओं को भी पुलिस ने संभल जाने से रोक दिया है, जिनके आवास के बाहर बड़ी संख्या में पुलिसबल तैनात कर दिया गया है.
नेता प्रतिपक्ष माता प्रदसाद पाण्डेय को पुलिस ने घर से बाहर नहीं आने दिया. वो गाड़ी में बैठ जरूर गए थे, लेकिन नोटिस का हवाला देकर उन्हें रोका गया है. पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांठ से सपा विधायक कमाल अख्तर, सपा विधायक पिंकी यादव, सपा जिलाध्यक्ष जीयवीर सिंह यादव को पुलिस ने बीच रास्ते में ही रोक लिया है. यह तीनों नेता उस 15 सदस्यीय प्रतिनिमंडल में शामिल हैं जिन्हें संभल में लोगों से मिलने जाना था.
संभल में भड़की थी हिंसा
कोर्ट के आदेश पर संभल जामा मस्जिद सर्वे करने पहुंची टीम पर उपद्रवियों की भीड़ ने जमकर पथराव किया और लाठी-डंडे और ईंट पत्थर भी फेंके. इस हिंसा में तीन दर्जन से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए. जबकि अन्य चार लोगों की मौत हो गई. उपद्रवियों में कुछ महिलाएं भी शामिल थीं.
वीडियोग्राफी और सीसीटीवी कैमरों के आधार पर आरोपितों की जांच की जा रही है. पुलिस हिंसा के मास्टर माइंड तक पहुंचने के लिए गंभीरता से जांच कर रही है. अब तक करीब 30 से अधिक लोगों को जेल भेजा चुका है.