खेती-बाड़ी के क्षेत्र में अगर आप नए बिजनेस की तलाश लगे हैं तो ढेंचा की खेती आपके लिए एक बेहतरीन ऑप्शन हो सकता है। यह फसल कम लागत में उगाई जाती है और इसका इस्तेमाल हरी खाद के रूप में किया जाता है, जिससे मिट्टी की उपजाव की क्षमता बढ़ती है। सबसे खास बात यह है कि इस खेती के लिए सरकार से भी आर्थिक मदद मिलती है, जिससे किसानों को काफी राहत मिलती है। इसमें हम आपको ढेंचा की खेती से जुड़ी जानकारी देंगे और बताएंगे कि कैसे आप इस बिजनेस से लाखो कैसे कमा सकते है।

क्यों करें ढेंचा की खेती

ढेंचा, जिसे हरी खाद के रूप में जाना जाता है, यह एक ऐसी फसल है जो मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाने का काम करती है। ढेंचा की खेती से किसान यूरिया की खपत को कम कर सकते हैं और साथ ही साथ खरपतवारों से भी निजात पा सकते हैं। इस फसल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें बहुत कम इन्वेस्टमेंट की आवश्यकता होती है और कम समय में यह अच्छी पैदावार देती है।

ढेंचा की खेती में मिलती है सरकार से मदद

अगर आप ढेंचा की खेती हरियाणा में करना चाहते हैं, तो सरकार आपको प्रति एकड़ 720 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करती है। ढेंचा की खेती के लिए प्रति एकड़ करीब 1000 से 1100 रुपये का खर्च आता है, जिसमें से 80% खर्च सरकार के द्वारा प्रदान किया जाता है। यह सहायता किसानों के लिए बहुत लाभदायक साबित होती है, क्योंकि इससे उनकी खेती में होने वाला खर्च बहुत कम पर जाता है और मुनाफा बढ़ जाता है।जिससे किसानी को काफी आसानी होती है और वो ढेंचा की खेती कर के आसानी से पैसा कमा पातें है और अपनी ज़िन्दगी को आसान बना पातें हैं। अगर आप भी किसी बिज़नेस की तरफ देख रहें हैं तो आप के लिए भी ढेंचा की खेती काफी फायदेमंद हो सकती है जिससे आप भी आसानी से लाखो की कमाई कर पाएंगे।

किस प्रकार से करें ढेंचा की खेती

ढेंचा की खेती करना बेहद आसान है और इसे साल भर में किसी भी माह में शुरू किया जा सकता है। हालांकि, खरीफ के मौसम में इसकी बुवाई सबसे अधिक फायदेमंद होती है।

खेती करने की विधि

खेत की तैयारी: ढेंचा की बुवाई से पहले खेत को अच्छे से जोत लें। सरसों की बुवाई जैसी ही विधि से आप ढेंचा की भी बुवाई कर सकते हैं।

बुवाई का तरीका: अगर आप केवल हरी खाद तैयार करना चाहते हैं, तो सामान्य छिड़काव के माध्यम से भी बुवाई कर सकते हैं।

फसल की देखभाल: ढेंचा के पौधे तेजी से बढ़ते हैं और डेढ़ महीने में इनकी लंबाई 3 फीट तक बढ़ जाती है। इसके पौधों में जो गांठे बनती हैं, उनमें नाइट्रोजन की भरपूर मात्रा होती है, जिससे फसल को पोषण मिलता है।

फसल की कटाई और इस्तेमाल: फसल कटाई के बाद इसे खेत में ही फैला दिया जाता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और अन्य रासायनिक खादों की आवश्यकता कम हो जाती है।