Puja Niyam: सनातन धर्म में यदि शास्त्रों के अनुसार मानें तो भगवान कि पूजा या मंदिर के भीतर प्रवेश करने से पहले नहाना यानि कि स्नान करना एक अहम प्रक्रिया मानी जाती है। पर कई बार ऐसा भी हो जाता है कि अगर आप नहाने में असमर्थ होते हैँ तब भी पूजा कर सकते हैँ।
यदि कोई व्यक्ति काफी ज्यादा पीड़ित है या कोई ऐसी विपत्ति है जिसके चलते वे स्नान नहीं कर पाया है तो शास्त्रों के मुताबिक उसे मन कि शुद्धता के साथ पूजा करने कि अनुमति पूर्ण रूप से मिल जाती है। इस स्थिति में आप मानसिक शुद्धता के साथ पूजा कर सकते हैँ।
शास्त्रों में भी इस बात का जिक्र किया गया है कि पूजा का महत्व व्यक्ति के संकल्प और भावना में ही निहित है। यदि कोई व्यक्ति कारण वश स्नान न कर पाने में मजबूर है तब भी उसके मन में पूजा करने के प्रति सच्ची श्रद्धा और भाव होना चाहिए।
यदि आप मानसिक पूजा करते समय मन्त्र का जाप करते हैँ तो इसके लिए बिलकुल भी ये जरूरी नहीं है कि आपने स्नान किया हो। घर में मंदिर या भगवान छूने से पहले ये जरूरी होना चाहिए कि मन आपका पूरी तरह से साफ हो।
पूजा करने के लिए स्नान का ये रहेगा महत्व
शास्त्रों के अनुसार स्नान को शारीरिक और मानसिक शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। स्नान करने से व्यक्ति अपने शरीर के तन और मैन को पूर्ण रूप से शुद्ध कर देता है। शास्त्रों में भी पूजा करने से पहले स्नान करना बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है, क्युंकि इससे व्यक्ति का दिमाग़ और मन दोनों ही शांत हो जाता है।
जान लें कि कौन सी ऐसी परिस्थितियां हैँ जहाँ व्यक्ति को बिना नहाये पूजा करनी चाहिए:
अगर किसी भी कारणवश व्यक्ति को अचानक से पूजा करनी पड़ जाए और वाहन स्नान करने का स्थान न हो तो भी वे पूजा कर सकता है।
अगर भोर काल के समय पूजा कर रहे हैँ, जिस समय नहाना संभव नहीं हो पा रहा है तो बिना नहाये ही पूजा कर सकते हैँ। बस अपने हाथ, पैर और मुँह को जरूर धोएँ।