Peanut Oil: देश के प्रमुख बाजारों में शुक्रवार को मूंगफली तेल-तिलहन और आयातित सोयाबीन, बिनौला तेल के भाव में नरमी रही। मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पिछले सात-आठ साल के स्तर के आसपास हैं। बाजार सूत्रों के अनुसार कपास फसल के लिए एक प्रमुख संस्था द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम भाव पर बिनौला की बिक्री किए जाने से बाजार धारणा प्रभावित हुई है। हालांकि, सरसों तेल-तिलहन में सुधार देखने को मिला है, जो कम आवक और सर्दियों की मांग कम होने के कारण हुआ है। इसके अलावा, किसान कमजोर हाजिर बाजार भाव पर बेचने से बचने के लिए सरकारी खरीद के इंतजार में अपना माल रोके हुए हैं, जिससे सोयाबीन तिलहन कीमतों में तेजी आई है।

शुक्रवार को देश के प्रमुख बाजारों में मूंगफली तेल, तिलहन और आयातित सोयाबीन, बिनौला तेल की कीमतों में नरमी आई है। इसके पीछे कई कारण हैं:

1. मूंगफली तेल और तिलहन की कीमतों में गिरावट: इनकी कीमतें पिछले सात-आठ सालों के स्तर पर बनी हुई हैं। मूंगफली तेल और तिलहन की कीमतों में गिरावट मुख्य रूप से बाजार में उच्च आपूर्ति और मांग में कमी के कारण है।

2. बिनौला सीड की बिक्री पर असर: बाजार सूत्रों के अनुसार, कपास फसल के लिए एक अग्रणी संस्था द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम दाम पर बिनौला सीड बेचने से बाजार धारणा प्रभावित हुई है, जिससे कीमतों में नरमी आई है।

 

3. सरसों तेल-तिलहन में सुधार: हालांकि, सरसों तेल और तिलहन में सुधार देखा गया है। इसका कारण कम आवक और सर्दियों में थोड़ी बढ़ी हुई मांग है, जो इनकी कीमतों को बढ़ावा दे रही है।

4. किसान माल को सरकारी खरीद के इंतजार में रोक रहे हैं: कमजोर हाजिर बाजार में कम दाम पर बिक्री से बचने के लिए किसान अपने माल को सरकारी खरीद के लिए रोक रहे हैं, जिससे सोयाबीन तिलहन की कीमतों में वृद्धि हो रही है।

बाजार में हाल ही में सोयाबीन डीगम तेल की कीमतों में गिरावट आई है, जिसका कारण धन की तंगी और आयातित तेलों की तुलना में कम दाम पर बिकवाली की मजबूरी बताया जा रहा है। हालांकि, सोयाबीन दिल्ली और इंदौर तेल के दाम पूर्ववत बने रहे हैं।

इसके अलावा, बिनौला सीड के दाम में गिरावट आने के कारण बिनौला तेल की कीमतों में भी कमी आई है। जबकि पाम और पामोलीन के दाम पहले की स्थिति पर बने रहे, क्योंकि ऊंचे दामों पर कमजोर मांग के कारण इनकी कीमतों में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ।

बिनौला खल में गिरावट के कारण मूंगफली खल और सरसों खल की मांग भी कमजोर हुई है, लेकिन इसका असर दूध के दाम पर नहीं पड़ा। इसके विपरीत, दूध की कीमतों में तेजी बनी हुई है। आम तौर पर यह माना जाता है कि खल की कीमतों में गिरावट से पशुआहार सस्ते होते हैं, और इसके परिणामस्वरूप दूध की कीमतों में भी कमी आनी चाहिए थी, लेकिन इस बार ऐसा देखने को नहीं मिला।

यहां तेल-वेतिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन: 6,475-6,525 रुपये प्रति क्विंटल

मूंगफली: 5,975-6,300 रुपये प्रति क्विंटल

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात): 14,450 रुपये प्रति क्विंटल

मूंगफली रिफाइंड तेल: 2,190-2,490 रुपये प्रति टिन

सरसों तेल (दादरी): 13,500 रुपये प्रति क्विंटल

सरसों पक्की घानी: 2,255-2,355 रुपये प्रति टिन

सरसों कच्ची घानी: 2,255-2,380 रुपये प्रति टिन

तिल तेल मिल डिलिवरी: 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी (दिल्ली): 13,350 रुपये प्रति क्विंटल

ये कीमतें बाजार में तेल और तिलहनों के मौजूदा रेट्स को दर्शाती हैं।