आज कल रिलेशनशिप को लेकर के रोजाना नए नए टर्म्स और कंडीशंस वायरल होते रहते हैँ। इसी बीच एक बार फिर से रिलेशनशिप में एक न्यू टर्म बहुत ही ज्यादा वायरल हो रहा है जिसे नाम दिया जा रहा है थ्रोनिंग का। वैसे तो अभी भी बहुत सारे लोग इस सोंच में हैँ कि आखिरकार इस नए टर्म थ्रोनिंग का मतलब आख़िरकार क्या है, तो बस यहीं आज हम आपको डिटेल में बताने जा रहे हैँ।
सबसे पहले तो ये जान लीजिए कि क्या है थ्रोनिंग?
तो बताते चलें कि दरअसल थ्रोनिंग एक नया डेटिंग से जुड़ा हुआ शब्द है और इसमें रिश्तों कि मजबूती के बजाय सोशल स्टेटस में सबसे ज़्यादा ध्यान दिया जाता है। सामने वाले यानि कि पार्टनर के इमोशन और प्यार कि जगह उसके पैसों को देख कर और स्टेटस को देख कर रिलेशनशिप के बारे में विचार किया जाता है। कपल एक दूसरे के फायदे को ध्यान में रखते हैँ। अब यूँ लीजिए कि इस रिलेशनशिप में केवल और केवल दिखावा ही होता है और कुछ नहीं।
जान लें कि थ्रोनिंग के फायदे क्या क्या हैँ:
वैसे तो हर चीज में ही फायदे और नुकसान दोनों ही होते हैँ। लेकिन जो ये नया टर्म है रिलेशनशिप का इसमें केवल और केवल सामाजिक दिखावा है। इसके अलावा कोई भी फायदा नहीं है। वहीं, नुकसान कि बात करें तो इस रिलेशनशिप में एक पार्टनर दूसरे को महान समझने लग जाता है तो दूसरा धीरे धीरे हीन भावना का शिकार होते हुए चला जाता है। इस तरह के लगातार पड़ रहे नेगेटिविट इम्पैक्ट व्यक्ति के जीवन को पूर्ण रूप से कई बार बर्बाद भी कर देते हैँ।
इस तरह के रिश्तों कि नहीं होती है नींव मजबूत
ये तो आप भी जानते ही होंगे कि दिखावे के लिए बनाए गए रिश्ते अधिक समय तक नहीं चल पाते हैँ और इनकी समाप्ति भी जल्दी ही हो जाती है। ऐसे में किसी भी रिलेशनशिप को मजबूत बना के रखने के लिए खास तौर पर इमोशन कि सबसे ज्यादा जरूरत होती है। और यहाँ थ्रोनिंग में सब कुछ दिखावा ही होता है। जहाँ दिखावा कि उम्र खत्म वहीं रिश्ते कि डोर भी टूट जाती है।
थ्रोनिंग जैसे रिलेशनशिप के एक नहीं बल्कि हैँ कई नुकसान
थ्रोनिंग जैसे रिलेशनशिप के एक नहीं बल्कि कई सारे नुकसान होते हैँ। इस रिलेशनशिप में पार्टनर एक दूसरे के लिए असमानता का भाव रखते हैँ। दोनों के मन में एक जैसी फीलिंग एक दूसरे के प्रति नहीं होती है। ऐसे में आगे धीरे धीरे करके उनकी लाइफ में एक के बाद एक समस्याएं आना शुरू हो जाति हैँ। सामान भावना न होने के कारण लड़ाई झगड़ा होना तो तय है।