Vastu Tips: सनातन धर्म में वास्तु शास्त्र का खास तरह का महत्व दे रखा गया है। वास्तु शास्त्र में चार मुख्य और चार कोणीय दिशाओं को बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण बताया गया है। दरअसल, वास्तु शास्त्र का मुख्य उद्देश्य यही है कि पॉजिटिविटी को बढ़ाना और नेगेटिविटी को जड़ से खत्म करना।

ऐसा कहा जाता है कि जो लोग अपने घरों में सभी तरह के वास्तु नियमों को अपनाते हैँ, उन्हें घर में कभी भी किसी भी तरह का वास्तु दोष नहीं लगता है। साथ ही जीवन में कभी भी नेगेटिविटी नहीं आती है।

ऐसे में वहीं यदि आपका घर वास्तु के अनुसार नहीं बना है और आपके घर में वास्तु दोष है, तो आपको रह रह के वास्तु समस्यायों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में आज हम आपको वास्तु शास्त्र के मुख्य उद्देश्य के बारे में बतायेंगे, जिसकी मदद से आप बिना तोड़ फोड़ के वास्तु दोष को दूर कर सकते हैँ।

घर के रसोई घर का सही स्थान पर न होना 

यदि वास्तु शास्त्र के अनुसार मानें तो घर के रसोई में किचन कभी भी दक्षिण दिशा कि ओर नहीं होना चाहिए। बल्कि पश्चिम दिशा रसोई घर के लिए सबसे ज्यादा शुभ मानी जाती है। वहीं, रसोई को सदैव साफ सुथरा रखने से कभी भी वास्तु दोष नहीं लगता है।

घर के पूर्व या पश्चिम दिशा कि ओर लगने वाला वास्तु दोष 

अगर आपके घर के पश्चिम या पूर्व दिशा कि ओर वास्तु दोष है, जिसके चलते एक साथ कई सारी गंभीर समस्यायों का सामना करना पड़ रहा है तो इन दिशाओं में शनि के यँत्र कि स्थापना कर सकते हैँ। ऐसा करने से हर प्रकार का बड़े से बड़ा वास्तु दोष खत्म हो जाएगा।

जीवन में आगे बढ़ोतरी के लिए

यदि आप भी चाहते हैँ कि आपके घर में तररकी हो और किसी को भी कोई समस्या न हो तो दरवाजे के मुख्य ओर बाईं तरफ माँ तुलसी जी के पौधे को अवश्य लगाएं। ऐसा करने से पॉजिटिविटी आती है, जिससे घर में आर्थिक समस्याएं दूर हो जाती हैँ।

घर के मुख्य द्वार ने स्वास्तिक का चिन्ह जरूर बनाएं। स्वास्तिक का चिन्ह बहुत ही ज्यादा फालदायी होता है। ऐसा कहा जाता है कि जिस भी मुख्य द्वार में ये होता है। वहां, वास्तु दोष लग सकता है।