Motichoor Laddu: हां, लड्डू का इतिहास बहुत रोचक और प्राचीन है। वास्तव में, लड्डू को पहले मिठाई नहीं, बल्कि औषधीय गुणों के कारण दवाई के रूप में खाया जाता था। इसके पीछे कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कारण हैं। आइए जानते हैं लड्डू के इतिहास से जुड़े कुछ रोचक तथ्य:

1. प्राचीन आयुर्वेदिक महत्व

आयुर्वेदिक चिकित्सा में लड्डू को एक दवाई के रूप में माना जाता था। खासकर तिल, मूंगफली, चना और गुड़ जैसे पोषक तत्वों का उपयोग करके लड्डू बनाए जाते थे।

तिल और गुड़ के लड्डू सर्दियों में शरीर को गर्मी देने और इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए खाए जाते थे। इसमें इस्तेमाल किए गए सामग्रियाँ शरीर को ऊर्जा देती थीं और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती थीं।

2. योद्धाओं के लिए ऊर्जा स्रोत

प्राचीन भारत में योद्धाओं को युद्ध के समय ऊर्जा और ताकत बनाए रखने के लिए लड्डू खिलाए जाते थे।

चने और गुड़ के लड्डू लंबे समय तक ऊर्जा बनाए रखते थे और जल्दी खराब भी नहीं होते थे, जिससे यात्रा के दौरान भी उन्हें अपने साथ रखा जा सकता था।

3. औषधीय जड़ी-बूटियों का उपयोग

पुराने समय में लड्डू में विभिन्न औषधीय जड़ी-बूटियाँ मिलाई जाती थीं, जैसे अश्वगंधा, सोंठ (सूखी अदरक), हल्दी आदि। यह शरीर की ताकत बढ़ाने, हड्डियों को मजबूत करने और बीमारियों से बचाने के लिए दिए जाते थे।

गर्भवती महिलाओं को भी लड्डू खिलाए जाते थे, ताकि प्रसव के बाद उनकी सेहत ठीक रहे और उन्हें आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें।

4. धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

भारत में लड्डू का धार्मिक महत्व भी है। कई त्योहारों, पूजा-पाठ और धार्मिक कार्यों में लड्डू प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। इसे शुभ और पवित्र माना जाता है।

गणेश जी को विशेष रूप से मोदक (लड्डू का एक प्रकार) प्रिय माना जाता है, और इसे हर गणेश चतुर्थी पर प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है।

5. स्वादिष्ट मिठाई के रूप में बदलाव

धीरे-धीरे लड्डू में अन्य सामग्रियाँ जोड़ी गईं और यह एक लोकप्रिय मिठाई बन गया। आजकल बेसन, सूजी, नारियल और बूंदी के लड्डू बहुत प्रचलित हैं और हर अवसर पर बनाए जाते हैं।

समय के साथ लड्डू का उपयोग केवल औषधीय गुणों के लिए नहीं, बल्कि स्वादिष्ट मिठाई के रूप में भी बढ़ गया।

इस तरह, लड्डू का सफर एक औषधीय उपचार से लेकर भारत की सबसे पसंदीदा मिठाइयों में से एक बनने तक का रहा है। इसका इतिहास और उपयोग भारत की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को दर्शाता है।