Train: ट्रेन एक ऐसी सवारी है जिसका इस्तेमाल न केवल भारत में होता है, बल्कि विश्व के अलग – अलग देशों में इनका यूज़ किया जाता है। वहीं, ट्रेन में भी बहुत सारे डिब्बे होते हैँ, इनकी सहूलियत और आराम पहुंचाने के लिए इन पर डिब्बे लगाए जाते हैँ। यदि ये न हो तो यात्रियों को ट्रेवल करना काफी ज्यादा मुश्किल हो जाता है।

अब आप भी सोंच रहे होंगे कि ट्रेन में ये गोल डिब्बे क्यों लगे हुए होते हैँ तो बताते चलें कि ये वेंटीलेशन का काम करते हैँ, क्युंकि ट्रेन के डिब्बो में अगर वेंटीलेशन न हो तो काफी ज्यादा गर्मी हो जाए। जिस कारण से लोगों का दम घुटना शुरू हो जाए। लिहाजा इसे कम करने के लिए प्रत्येक कोच के ऊपर गोलनुमा ढक्क्न लगाए जाते हैँ, ये वेंटीलेशन का कार्य करते हैँ।

कुछ ट्रेनों कि छत में छेद होते हैँ और ट्रेन के भीतर कि सारी नमी इन जालियों से होकर ही बाहर कि ओर जाती है। ये विचार शायद आपको भी आया होगा कि ये नमी खिड़की से भी तो बाहर जा सकती है। ऐसे में इस बात कि ओर गौर फरमाएँ कि नमी एक गरम हवा है, जो कि सदैव ऊपर कि ओर ही उठती है, इसके पीछे का कारण है कि विज्ञान कहता है कि ठंडी हवा गर्म हवा से हल्की रहती है।

वहीं, भारतीय रेलवे एशिया का दूसरा ओर विश्व का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क है। ऐसे में लोगों कि फैसिलिटी और सहूलियत के हिसाब से रेलवे कि ये सबसे बड़ी प्राथमिकता है। भारतीय रेलवे के स्टेशन कि संख्या भी 8000 के आस पास है।

अब समझते हैँ कि आखिरकार ये ढक्क्न आख़िरकार कार्य कैसे करते हैँ। ज़ब यात्रियों कि भीड़ बढ़ने लगती है तो ट्रेन में गरम हवा बढ़ने लगती है। ऐसे में ये छत वेंटीलेटर गर्म हवा को छेद के मार्ग से बाहर निकाल देता है, जिससे ट्रेन का टेम्परेचर कंट्रोल में रहता है।

यहाँ तक कि ट्रेन के एसी कोच में भी खिड़कियों से हवा पास होने कि कोई सम्भावना नहीं होती। अगर लगातार हवा फिल होती रहती है तो आग तक लगने कि सम्भावना बढ़ जाती है। ऐसे में ये गोल ढक्क्न टेम्परेचर को नियंत्रित करने में असरदार होता है।

इन ढक्क्नों को इस तरह से डिज़ाइन किया जाता है कि बारिश के समय भी इनसे एयर वेंटीलेटर होता रहे और पानी कि बूंदें भीतर न आएं।