आतंकियों का पनाहगार बना पाकिस्तान चौतरफा अल्पसंख्यकों को तंग करने के आरोप में घिरा रहता है. लेकिन धीरे-धीरे अब स्थिति में कुछ सुधार के संकेत लग रहे हैं. पाकिस्तान के पंजाब राज्य में अब एक हिंदू मंदिर के जीर्णोद्धार का काम शुरू हो चुका है. सरकार का यह बड़ा कदम माना जा रहा है. यह मंदिर करीब 64 साल पुराना बताया जा रहा है, जिसके लिए पाकिस्तान सरकार ने बाकायदा बजट आवंटित किया है.

मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से इसकी पुष्टि की गई है. रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि पाकिस्तान के इस मंदिर का निर्माण कार्य भी शुरू चुका है. इससे अब चर्चा ह कि पाकिस्तान सरकार हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर है. डॉन न्यूज में छपी खबर के मुताबिक, पाकिस्तान अल्पसंख्यकों के पूजा स्थलों की देखरेख करने वाली संघीय संस्था इवेक्यूई ट्रस्ट प्रोपर्टी बोर्ड ने पंजाब में रावी नदी के पश्चिमी तट पर स्थित नारोवाल शहर के जफरवाल नगर में बावली साहिब मंदिर निर्माण का काम शुरू कर दिया गया है. इससे हिंदुओं के चेहरे पर काफी उत्साह बना हुआ है.

जानकारों के अनुसार, यह मंदिर 1960 में काफी जर्जर हो गया था. अभी नारोवाल जिले में कोई हिंदू मंदिर नहीं है. इस वजह से हिंदू समाज के लोग धार्मिक कार्य अपने घर पर ही करते हैं. जो घर नहीं करते उन्हें सियालकोट और लाहौर के मंदिरों में जाना पड़ता है.

जानिए कभी थे कितने मंदिर

पाकिस्तान धर्मस्थान कमेटी के पूर्व प्रमुख रतन लाल आर्या के मुताबिक, बावली साहिब मंदिर पर ईटीपीबी के नियंत्रण के चलते वह चर्ज हुआ था. नारोवाल में 1,453 से ज्यादा हिंदू पूजा स्थल दूर थे. जब पाकिस्तान का उदय हुआ तो उस समय नारोवाल 45 मंदिर हुआ करते थे, लेकिन मरम्मत नहीं होने के चलते यह मंदिर जर्जर होते चले गए.

आर्या के अनुसार, बीत दो दशक से धर्मस्थान कमेटी बावली साहिब मंदिर की मरम्मत के लिए मांग करती आ रही है. उन्होंने बताया कि सरकार ने हिंदू समाज की मागों को स्वीकार करते हुए मंदिर की मरम्मत करने का फैसला लिया गया है.

जानिए जरूरी बातें

उच्चतम न्यायलय के अनुसार, वन मैन कमीशन के प्रमुख शोएब सिद्दल और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के मेंबर मंजूर मसीह ने मंदिर के मरम्मत के प्रयास में बड़ा किरदार निभाया है. पाकिस्तान धर्मस्थान कमेटी के प्रमुख सावन चंद के मुताबिक, वली साहिब मंदिर की मरम्मत से हिंदू समुदाय की काफी पुरानी मांग पूरी होगी. अब जल्द हदी पूजास्थलों पर अनुष्ठान कराने की इजाजत भी मिल सकेगी. हिंदू समाज के लोगों के लिए यह बड़ा कदम माना जा रहा है. वैसे भी पाकिस्तान में वर्तमान में करीब 90 लाख से अधिक हिंदू निवास करते हैं.