Success Story of IFS Vidushi Singh : देश की सबसे कठिन प्रतियोगी परीक्षा सिविल सर्विस परीक्षा को हर साल 10 लाख से भी अधिक अभ्यर्थी देते हैं। इस परीक्षा वही कैंडिडेट पास कर पाते हैं जो अपनी पढ़ाई लिखाई में बहुत मेहनत करते हैं और वह सही तरीके से पढ़ाई करते हैं।
अभी तक जितने भी उम्मीदवार इस परीक्षा को क्वालीफाई कर चुके हैं वह बहुत सारी संघर्षों से जूझे हुए होते हैं। वे अभ्यर्थी अपनी परीक्षा को पास करने के लिए अपने लक्ष्य की तरफ अडग रहते हैं। इन्ही में से एक अभ्यर्थी ऐसी हैं जिसने आईएएस और आईपीएस की नौकरी छोड़ आईएफएस सर्विस चुना है।
उन अभ्यर्थी का नाम विदुषी सिंह है जो राजस्थान की रहने वाली हैं। विदुषी ने मात्र 21 साल की उम्र में ही यूपीएससी परीक्षा को क्वालीफाई कर लिया और इतिहास रच दिया। यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा को पास करने के लिए अधिक तकर अभ्यर्थी कोचिंग के सहारे अपनी तैयारी करते हैं। लेकिन विदुषी सिंह ने बिना किसी कोचिंग के बस अपने दम पर UPSC परीक्षा की तैयारी कीं। आइये आगे इस कॉन्टेंट में Success Story of IFS Vidushi Singh के बारे में जानते हैं।
IFS Vidushi Singh Biography
आईएफएस विदुषी सिंह का जन्म राजस्थान के जोधपुर में हुआ है लेकिन उनका परिवार अयोध्या से ताल्लुक रखता है। उनके फैमिली बैकग्राउंड में एजुकेशन को अहमियत दी जाती थी। विदुषी एक बड़ी अधिकारी बनना चाहती थीं। विदुषी ने यूपीएससी परीक्षा के लिए बिना किसी कोचिंग के उन्होंने खुद ही अपनी पढ़ाई के लिए योजना बनाई और टेस्ट सीरीज और मॉक टेस्ट भी सॉल्व किये। वो एनसीईआरटी की किताबों को पढ़ा करती थीं और अपने बेसिक को मजबूत किया। विदुषी ने अपने सेल्फ स्टडी पर ज्यादा फोकस किया और वह रेगुलर पढ़ाई किया करती थीं।
IAS, IPS छोड़ IFS चुनीं
विदुषी ने अपने पहले प्रयास में ही यूपीएससी परीक्षा को क्वालीफाई कर लिया और इसमें उन्होंने 13वीं रैंक हासिल कर लीं। विदुषी ने ऑप्शनल सब्जेक्ट के रूप में अर्थशास्त्र को चुना क्योंकि यह उनका इंटरेस्टेड सब्जेक्ट था। मात्र 21 वर्ष की उम्र में सिविल सर्विस में टॉप रैंक आने के बाद विदुषी को आईएएस और आईपीएस सर्विस में जाने का मौका मिला लेकिन विदुषी ने इन दोनों सर्विस को छोड़कर आईएफएस सर्विस यानी भारतीय विदेश सेवा को चुनीं। विदुषी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि भारतीय विदेश सेवा (IFS) में जाना उनके दादा दादी का सपना था। वे चाहते थे कि उनका परिवार देश का नाम विदेशों में भी रोशन करें और विदुषी सिंह ने आज अपनी दादा-दादी का सपना साकार कर दिया।