Breast Tax: महिलाओं के लिए सबसे शर्मसार कानून! स्तन ढकने के लिए देने पड़ते थे पैसे, जानें पूरी खबर, भारत के इतिहास में ऐसे कई कानून बनाए गए हैं जिन्होंने सामाजिक अन्याय और भेदभाव को बढ़ावा दिया। ऐसा ही एक शर्मनाक कानून था जो 19वीं सदी में केरल के त्रावणकोर राज्य में प्रचलित था। इस कानून के अनुसार, दलित और पिछड़ी जाति की महिलाओं को अपने स्तन ढकने के लिए “स्तन कर” या “मुलक्करम” (Breast Tax) चुकाना पड़ता था। इस घोर अपमानजनक कर का मकसद जातीय भेदभाव और उच्च-नीच की भावना को बनाए रखना था।
स्तन कर का उद्देश्य
यह कर मुख्य रूप से निचली जातियों की महिलाओं पर लागू था, खासकर उन महिलाओं पर जो अपने शरीर को ढकना चाहती थीं। ऊंची जातियों के लोगों को यह मंजूर नहीं था कि निचली जाति की महिलाएं कपड़े पहनें या अपने स्तन ढकें, क्योंकि यह उच्च जाति के लोगों की एकाधिकार और सत्ता का प्रतीक माना जाता था।
इसके खिलाफ विरोध और नांगेली की कहानी
इस भेदभाव और अत्याचार के खिलाफ कई लोगों ने विरोध भी किया। इसी क्रम में एक महत्वपूर्ण कहानी है नांगेली नामक दलित महिला की, जिसने इस अपमानजनक कानून का विरोध करने के लिए अपने स्तन काट दिए और कर अधिकारियों को सौंप दिए। यह घटना इतनी प्रभावशाली थी कि इसके बाद इस कर को समाप्त कर दिया गया।
नतीजा और असर
नांगेली की इस साहसिक घटना ने न केवल त्रावणकोर बल्कि पूरे देश में जाति-आधारित भेदभाव और अन्याय के खिलाफ लोगों में जागरूकता और साहस भरने का काम किया। इसके बाद स्तन कर जैसे अपमानजनक कानून को समाप्त कर दिया गया, जो उस समय का एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुधार माना जाता है।
यह घटना भारतीय समाज में मौजूद जातिवादी अत्याचार का प्रतीक बन गई और यह दर्शाती है कि किस तरह भारत में महिलाओं और विशेष रूप से दलित महिलाओं को अपने अधिकारों और सम्मान के लिए संघर्ष करना पड़ा।