नई दिल्लीः सीरिया इन दिनों सिविल वॉर से जूझ रहा है, जहां विद्रोहियों ने तमाम सैन्य ठिकानों और सरकारी संगठनों को तबाह कर दिया. इतना ही नहीं विद्रोहियों के आक्रोश को देखते हुए सीरिया के राष्ट्रपति बशर-अल-असद भी देश छोड़कर भाग गए हैं. उन्हें अब रूस ने अपनी शरण दी है. सीरिया की सेना की ओर से भी राष्ट्रपति के देश छोड़ने की घोषणा कर दी है.
हालांकि, अभी भी कई ठिकानों पर विद्रोहियों से जंग जारी रहने की बात कही गई है. लड़ाकों ने सीरिया की राजधानी दमिश्क पर पूरी तरह कब्जा कर लिया है. 11 दिन के इस युद्ध में देश की सेना को बुरी हार झेलनी पड़ी. पहले उम्मीद लगाई जा रही थी कि युद्ध लंबा चलने वाला है, लेकिन सेना टिक नहीं सकी. अब नई सरकार के रूप में विद्रोही गुटों की सरकार बनने की उम्मीद है.
सड़कों पर जश्न मनाते नजर आए विद्रोही लड़ाके
सीरिया में बीते दिन 11 दिन से चल रही सेना और विद्रोहियों के बीच लड़ाई अब आखिरी पड़ाव पर पहुंच गई. लड़ाकों ने राजधानी दमिश्क में विद्रोहियों ने गोलीबारी करते हुए सैन्य ठिकानों, एयरपोर्ट और सरकारी कार्यालयों पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया. लड़ाके सड़कों पर हथियार लहराते हुए जीत का जश्न मनाते नजर आए.
दमिश्क के चौराहों पर लोगों की भीड़ भी इकट्ठा हो गई और सीरियाई क्रांतिकारी ध्वज लहराया. इतना ही नहीं इस दौरान लड़ाकों ने बड़ी संख्या में गोलीबारी कर जीत की खुशी का भी इजहार किया. असद और अन्य शीर्ष अधिकारियों की कोई खबर न होने के बाद कई लोगों ने राष्ट्रपति भवन और असद परिवार के आवास पर तोड़फोड़ कर दी है.
कब सत्ता में आए थे असद?
जानकारी के लिए बता दें कि बशर अल-असद साल 200 में सीरिय की सत्ता में आए थे. उनके पिता बशर के सबसे बड़े भाई बासिल अल असद को अपना उत्तराधिकारी बनाने की कोशिश में लगे थे. लेकिन 1994 में दमिश्क में एक कार दुर्घटना में बासिल की मौत हो गई थी. बशर-अल-असद पर गृहयुद्ध के दौरान युद्ध अपराध और मानवता के विरुद्ध अपराध का आरोप लगाया गया है.
इसमें साल 2013 में राजधानी बाहरी इलके में रासायनिक हथियारों से हमला भी शामिल है. रुसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि उन्हें सीरियाई लोगों के लिए खेद है. वहीं, रूस बशर-अल-असद का खास समर्थक माना जाता है.