पैसे बचाने के लिए अपनाएं 67: 33 सेविंग फॉर्मूला, कभी नहीं होगी आर्थिक तंगी!

आज की इस महंगाई में नौकरी के साथ-साथ बचत करना भी जरूरी है। जिससे इमरजेंसी के समय आपको यह फंड काम आए। लोग नौकरी या बिजनेस में कमाई तो खूब करते हैं। लेकिन बचत नहीं करते हैं। तो कई बार मुश्किल में फंस जाते हैं। अगर आपको रिटायरमेंट प्लान करना है या फिर इमरजेंसी के लिए मोटा फंड जमा करना है तो आप इस 67: 33 सेविंग फॉर्मूला का उपयोग कर सकते हैं।

लोग अपने फ्यूचर के लिए पैसे जोड़ते है। जिससे आगे चल कर किसी खास पैसों की जरुरत के चलते किसी औरों के सामने हाथ ना फैलाना पड़े। तो वही आप ने तो जरुर सेविंग्स करने के लिए एक्सपर्ट की राय और फार्मूले पढ़े होंगे। जिससे बचत करना आसान हो जाता है। बल्कि भविष्य में मोटी रकम भी जमा हो जाती है। आप 67: 33 सेविंग फॉर्मूला का यूज करके इमरजेंसी फंड बनाते हैं तो बहुत ही उपयोगी साबित हो सकता है।

जानिए क्या है 67: 33 सेविंग फॉर्मूला

सेविंग के लेकर हर किसी को जागरुक होना चाहिए, जिससे घर परिवार के खर्च चलते रहे है। आप इमरजेंसी फंड जोड़ने के लिए 67:33 फॉर्मूला को अपना सकते है। जिसमें आप को महीने में होने वाली कमाई या सैलरी दो हिस्सों में बांटनी होगी। इस फॉर्मूले के अनुसार सैलरी का 33 फीसदी हिस्सा सेविंग में जमा करना होगा। जिससे सेविंग को आप इमरजेंसी फंड बना सकते हैं। तो वही बाकी का बचा 67 फीसदी पैसा राशन, सब्जी, बिजली बिल, लोन जैसे जरूरी खर्चों के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।

हकीकत में ऐसे काम करेगा सेविंग फॉर्मूला

उदाहरण के तौर पर हम मान लें कि किसी व्यक्ति की हर महीने सैलरी या कमाई 30 हजार रुपये है। जिससे 33 फीसदी के हिसाब से आपको 9900 रुपये सेविंग में लगा देने है। जिसके बाद में बचे 20,100 रुपये आप घर परिवार के जरूरी खर्चों और मनपसंद खर्च के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आप इस इमरजेंसी फंड की रकम को निवेश भी कर सकते हैं, जिसमें निकाशी के समय चार्ज ना देना पड़े है।

67: 33 सेविंग फॉर्मूला से बन जाएगा लाखों

अगर आप 67: 33 सेविंग फॉर्मूला का इस्तेमाल करके सालभर सेविंग करते हैं। लाखों रुपए बचत के हो जाएगें, जिसे आप निवेश कर सकते हैं। आप को बता दें कि फाइनेंस एक्सपर्ट बताते है कि किसी व्यक्ति के पास में 3 से 6 महीने जितने खर्चे का पैसा इमरजेंसी फंड होना चाहिए। ताकि वित्तीय परेशानी आने पर किसी भी तरह की दिक्कत का सामना ना करना पड़े। इमरजेंसी के समय किसी दुसरें से पैसों की मांगनें न पड़ें।