नई दिल्ली: भारतीय तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह ने 2024-25 बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन किया और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ प्लेयर ऑफ द सीरीज का अवॉर्ड जीता। बुमराह ने सीरीज में 32 विकेट चटकाए, और अपने शानदार गेंदबाजी के दम पर ऑस्ट्रेलियाई टीम को मुश्किल में डाला। हालांकि, बुमराह की चोट के चलते सीरीज के आखिरी टेस्ट में वह गेंदबाजी नहीं कर पाए, और यह बात पूर्व भारतीय क्रिकेटर बलविंदर संधू को बिलकुल भी पसंद नहीं आई। संधू ने वर्कलोड मैनेजमेंट पर सवाल उठाते हुए बुमराह की आलोचना की।
बलविंदर संधू ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए वर्कलोड मैनेजमेंट को बकवास बताया। उन्होंने कहा, “क्या बुमराह ने कितने ओवर फेंके? 150 के आस-पास, यही न? और कितनी पारियों में? पांच मैच की 9 पारियों में, यानी करीब 16 ओवर प्रति पारी।” संधू का मानना था कि वर्कलोड मैनेजमेंट की बातें सिर्फ ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के लिए बनाई गई हैं, और यह भारतीय क्रिकेट की परंपराओं से मेल नहीं खातीं। उनका कहना था कि पहले के खिलाड़ियों के पास न तो बेस्ट फीजियो थे और न ही बेस्ट मालिश करने वाले, फिर भी वे दिन-रात गेंदबाजी करते थे।
बलविंदर संधू का कहना था कि पहले के दौर में क्रिकेटर्स अपने शरीर के प्रति ज्यादा जागरूक थे, और उन्हें वर्कलोड मैनेजमेंट जैसी बातों की जरूरत नहीं थी। संधू ने उदाहरण देते हुए कहा, “अगर कोई गेंदबाज एक पारी में 20 ओवर भी नहीं कर पाता, तो उसे भारत के लिए खेलना भूल जाना चाहिए। हम लोग 25-30 ओवर गेंदबाजी एक दिन में करते थे।”
संधू ने यह भी कहा कि अगर बुमराह 15 ओवर एक दिन में अलग-अलग स्पैल में गेंदबाजी कर रहे थे, तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं थी। उनके अनुसार, आज के दौर में क्रिकेटर्स को बेहतरीन मेडिकल सपोर्ट और फिजियोथेरेपी की सुविधाएं मिलती हैं, जिसके कारण वर्कलोड मैनेजमेंट की बातें केवल अति रक्षात्मक होती जा रही हैं।
बलविंदर संधू का यह बयान भारतीय क्रिकेट में एक नया विवाद खड़ा कर सकता है। जबकि बुमराह जैसे तेज गेंदबाजों के शरीर पर अत्यधिक दबाव होता है, खासकर चोटों के बाद, वर्कलोड मैनेजमेंट उनके लिए बेहद अहम हो सकता है। जहां तक संधू की बात है, वह एक पुराने जमाने के क्रिकेटर हैं और उनका अनुभव उन्हें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्रिकेट में बदलावों के साथ आने वाली नई नीतियाँ शायद पहले जैसी ठोस नहीं हो सकतीं।
दूसरी ओर, आज के तेज गेंदबाजों को ध्यान में रखते हुए वर्कलोड मैनेजमेंट के महत्व को नकारा नहीं किया जा सकता। तेज गेंदबाजी शरीर पर भारी पड़ती है, और वर्कलोड मैनेजमेंट, जिसमें ओवरों की संख्या को सीमित करना और सही तरह से रिहैबिलिटेशन शामिल है, चोटों से बचने का एक प्रभावी तरीका है।