Rajiv Awas Yojana: राजीव आवास योजना 2009 में भारत सरकार द्वारा शहरी गरीबों के लिए शुरू की गई एक महत्वपूर्ण योजना थी। इसका उद्देश्य अवैध झुग्गी-झोपड़ियों को खत्म करना और कम आय वाले परिवारों को पक्का आवास प्रदान करना था। इस योजना के तहत, गरीब परिवारों को उनके लिए स्वामित्व वाले घर दिए जाते थे और उनकी बुनियादी सुविधाओं को बेहतर किया जाता था।

इस योजना के प्रमुख उद्देश्य थे:

1. झुग्गी-झोपड़ी उन्मूलन: यह योजना शहरी इलाकों में अवैध रूप से बनी झुग्गियों को हटाने का उद्देश्य रखती थी, ताकि इन स्थानों पर अव्यवस्थित जीवनशैली से छुटकारा मिल सके।

2. आवास निर्माण: योजना के तहत गरीबों को पक्का घर बनाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती थी, जिससे वे झुग्गियों से बाहर निकलकर एक स्थिर और सुरक्षित जीवन जी सकें।

3. सामाजिक सेवाएं और बुनियादी सुविधाएं: इस योजना के तहत घरों के निर्माण के साथ-साथ वहां रहने वाले लोगों को पानी, शौचालय, बिजली, सड़क और अन्य जरूरी बुनियादी सेवाएं भी प्रदान की जाती थीं।

4. किफायती आवास: योजना का उद्देश्य गरीबों के लिए किफायती और गुणवत्तापूर्ण आवास सुनिश्चित करना था।

राजीव आवास योजना का एक प्रमुख लक्ष्य शहरी क्षेत्रों में गरीबों के लिए रहने की सुविधाओं को सुनिश्चित करना और उन्हें बेहतर जीवन जीने के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करना था। हालांकि, इसके कार्यान्वयन में विभिन्न चुनौतियां रही, जैसे कि भूमि विवाद, वित्तीय संकट, और राज्य सरकारों द्वारा उचित निगरानी की कमी।

राजीव आवास योजना (Rajiv Awas Yojana – RAY) 2009 में भारत सरकार द्वारा शहरी गरीबों के लिए शुरू की गई एक प्रमुख योजना थी। इसका उद्देश्य अवैध झुग्गियों को समाप्त करना और शहरी क्षेत्रों में गरीबों को पक्का घर और बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना था। यह योजना भारत के शहरी विकास मंत्रालय द्वारा संचालित की जाती थी और इसका लक्ष्य शहरी गरीबों के लिए किफायती और सुरक्षित आवास सुनिश्चित करना था।

राजीव आवास योजना के मुख्य उद्देश्य:

1. झुग्गी-झोपड़ियों का उन्मूलन:

योजना का एक प्रमुख उद्देश्य शहरी इलाकों में अवैध झुग्गियों और झोपड़पट्टियों को हटाना था। इन झुग्गियों में लोग अव्यवस्थित तरीके से रहते थे, जिससे उनके जीवन में कई समस्याएं थीं।

झुग्गीवासियों को पुनर्वासित कर उनके लिए पक्के घरों का निर्माण किया गया।

2. किफायती आवास निर्माण:

इस योजना के तहत गरीब परिवारों के लिए किफायती और स्थायी घरों का निर्माण किया गया।

योजना का लक्ष्य था कि शहरी गरीबों के पास पक्के घर हों जो सुरक्षित और आरामदायक हों।

3. सामाजिक और बुनियादी सेवाओं का सुधार:

झुग्गियों में रहने वालों को बुनियादी सुविधाएं जैसे पानी, बिजली, शौचालय, सड़कें और स्वच्छता उपलब्ध कराई जाती थीं।

इसका उद्देश्य उन लोगों की जीवनशैली में सुधार करना था, जो पहले असुविधाओं और संकटों का सामना कर रहे थे।

4. संवेदनशील समूहों को प्राथमिकता देना:

योजना में विशेष रूप से अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और महिलाओं को प्राथमिकता दी गई थी।

इन समूहों के लिए आवास और पुनर्वास कार्यों में विशेष ध्यान रखा गया।

5. निवासियों को स्वामित्व प्रदान करना:

योजना का एक मुख्य लक्ष्य यह था कि झुग्गीवासियों को उनके नए घरों का स्वामित्व दिया जाए ताकि वे इन संपत्तियों को अपने नाम पर रख सकें और सुरक्षित जीवन जी सकें।

योजना के कार्यान्वयन का तरीका:

1. सरकारी और निजी साझेदारी:

इस योजना को सफल बनाने के लिए राज्य सरकारें, केंद्र सरकार और निजी क्षेत्र के बीच साझेदारी की जाती थी।

राज्य सरकारें भूमि उपलब्ध कराती थीं, जबकि केंद्र सरकार पुनर्वास परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती थी।

2. पुनर्वास योजना:

झुग्गीवासियों को पुनर्वासित करने के लिए उपयुक्त स्थान पर नए घरों का निर्माण किया जाता था। ये घर पूरी तरह से सुरक्षित और आधुनिक सुविधाओं से लैस होते थे।

3. वित्तीय सहायता:

इस योजना के तहत सरकार गरीब परिवारों को घर बनाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती थी।

आवास निर्माण के लिए प्रत्येक लाभार्थी को लगभग 1.20 लाख रुपये की मदद दी जाती थी, जिसमें राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त सहायता मिलती थी।