मुग़ल हरम यानि वो जगह जहां पर मुग़ल औरतें रहती थी ।  बाबर नने इसकी शुरुआत की थी और अकबर के समय तो ये अपने चरम पर था । ऐसा माना जाता है कि अकबर के समय में मुग़ल हरम के अंदर में 5 हजार मुग़ल औरतें थी ।

इन औरतों को बहुत ही कड़े पहरे में रखा जाता था और यहाँ बादशाह को छोड़कर किसी को भी अंदर आने की इजाजत नहीं थी। मुग़लों के हरम में बड़ी संख्या में किन्नरों की तैनाती की जाती थी। किसी भी बाहर से आने वाले इंसान को लाना और उसे बाहर तक छोड़ना, उनकी जिम्मेदारी का अहम हिस्सा था।  जब भी शाही घराने में किसी चिकित्सक को बुलाया जाता था तो किन्नर उसका सिर ढक देते थे ताकि वो अंदर का माहौल न देख सके।  इलाज के बाद उसे बाहर निकालने का तरीका भी वही रहता था।  लेकिन जब मेरा वहां आना-जाना आम हो गया तो उनका मुझ पर भरोसा बढ़ गया और पाबंदिया नहीं रहीं। 

महिलाएं बनाती थी बीमारी का बहाना 

कई चिकित्सकों ने ऐसा माना कि मुग़ल औरतें जान बूझकर बीमारी का बहाना बनाती थी ताकि इसी बहाने वो पराए मर्द से मिल सके। यह मुलाकात बिल्कुल खुले माहौल में नहीं होती थी।  चिकित्सक और महिला के बीच में एक पर्दा लगा होता था।  चिकित्सक नब्ज देखने के लिए पर्दे के भीतर अपना हाथ बढ़ाते थे. उसी दौरान कई महिलाएं उसका हाथ चूम लेती थीं और कुछ तो प्यार से काटती भी थीं. इतना ही नहीं कुछ औरते उसका हाथ अपनी छाती से स्पर्श कराती थीं। 

इस सवाल के जवाब में मनूची लिखते हैं कि हरम की जरूरत के पीछे मुगलों की मानसिकता जिम्मेदार थी।  मुसलमानों को महिलाओं से खास लगाव रहा था।  उन्हें उनके बीच काफी सुकून मिलता था। हालांकि हरम बनाने का मकसद केवल यौन सुख पाना ही नहीं था। 

 

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