CIF Number: आज का जमाना डिजिटल का है। जैसे बैंकिंग सेक्टर में UPI के होने से ऑनलाइन ट्रांजैक्शन काफी तेजी से बढ़े। अब इसी बीच बैंकों में एक कोड का इस्तेमाल होने लगा है, जिसे CIF नंबर कहा जाता है। इसे कस्टमर इन्फॉर्मेशन फाइल (Customer Information File – CIF) कहते है।यह नंबर बैंकों की तरफ से ग्राहकों को दिया जाता है।
बता दें कि CIF नंबर सिर्फ ग्राहक के अकाउंट से नहीं बल्कि पूरी बैंकिंग प्रोफाइल से जुड़ा होता है। यह ग्राहक के सेविंग अकाउंट, करंट अकाउंट, लोन, फिक्स्ड डिपॉजिट, क्रेडिट कार्ड से लिंक होता है। यह बैंक और और कस्टमर्स के बीच संबंधों को देखने और बनाए रखने के काम आता है।
क्या होता है CIF नंबर?
कस्टमर इनफॉर्मेंशन फाइल (CIF) नंबर एक यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर है। यह नंबर बैंक की तरफ से सभी ग्राहकों को दिया जाता है। इसमें बैंक अकाउंट नंबर एक खास अकाउंट से लिंक होता है, लेकिन नंबर किसी ग्राहक के पूरी बैंकिंग प्रोफाइल को दिखाता है। यह नंबर एक साथ कई अलग-अलग अकाउंट्स, पर्सनल लोन और संबंधित सुविधाओं को कवर करता है। एक तरह से कहा जाए तो इस नंबर के माध्यम से बैंक से जुड़ी सभी एक्टिविटी मिल जाती हैं।
इस नंबर में आपका नाम, मोबाइल नंबर, पर्सनल डिटेल्स सारी जानकारी मोल जाएंगी। जैसे कि बैंक खाता कब खोला, खाता किस तरह का है, पैन, आधार जैसे कई डॉक्यूमेंट्स एक ही नंबर के माध्यम से मिल जाएंगे। अगर आपने लोन लिया है तो लोन की रकम, ईएमआई, रिपेमेंट ड्यूरेशन, क्रेडिट कार्ड, FD, RD आदि की जानकारी इसी नंबर के माध्यम से मिल जाएगी।
क्यों जरूरी है CIF नंबर?
CIF नंबर से सभी बैंकिंग सर्विसेज के बारेमे पता चल जाता है।
नई सुविधा लेने पर जल्दी अप्रूवल मिलता है।
फ्रॉड डिटेक्शन और सिक्योरिटी आदि मदद मिलती हैं।
यह नंबर मोबाइल और नेट बैंकिंग से जुड़ी सेवाओं में काम आता है।
बैंक से हर तरह का सपोर्ट मिलता है।
CIF और IFSC में अंतर
CIF नंबर से ग्राहक की पहचान की जाती है। वहीं IFSC कोड बैंक ब्रांच की पहचान करता है। दोनों नंबर के अलग-अलग काम होते हैं। CIF नंबर के माध्यम से अकाउंट अपडेट करना, लोन लेना हो या मोबाइल बैंकिंग से कुछ काम करना आदि में मदद मिलती है।