हमारा देश मान्यताओ का देश है । यहाँ तरह तरह की मान्यताऐं मौजूद है। यहाँ अलग अलग भगवानों की पूजा होती है और देश भर में सैकड़ों तरह की प्रथाएं चलती है । लेकिन क्या आपको बस्तर के एक ऐसे अदालत के बारे में पता है जहां पर खुद भगवान के ऊपर ही मुकदमा चलाया जाता है और यहाँ पर मुर्गों से गवाही ली जाती है । 

बस्तर में 70 प्रतिशत आदिवासी आबादी है, जिसमें गोंड, मारिया, भतरा, हल्बा और धुर्वा जैसी जनजातियां शामिल हैं। बस्तर में भंगाराम देवी मंदिर में हर मानसून में भादो जात्रा उत्सव मनाया जाता है। जन अदालत के नाम से मशहूर इस तीन दिवसीय उत्सव के दौरान भगवान के खिलाफ मुकदमे दायर किए जाते हैं।

अनोखी है ये परंपरा 

भादो जात्रा उत्सव के समय में भंगाराम देवी के मंदिर में इस प्रथा को चलाया जाता है । यहाँ पर लोग भगवान के ऊपर सभी तरह की विपपतियों का इल्जाम लगाते है । जैसे उनके फसल का खराब हो जाना या फिर बेमौसम बरसात या सूखा । और इन मामलों में गवाही के तौर पर मुर्गों और अन्य पक्षियों को आगे किया जाता है । 

अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसे मंदिर के पीछे एक खास समय के लिए रखकर सजा दी जाती है। कभी-कभी ये सजा तब तक चलती है जब तक समस्या का समाधान नहीं हो जाता। समस्या ठीक होने के बाद मूर्ति को मंदिर में फिर से स्थापित कर दिया जाता है।

बस्तर जिले में कंगारू कोर्ट माओवादी सभाओं के लिए प्रसिद्ध है। हालांकि, भगवान के खिलाफ ये सालाना लगने वाली अदालत अपनी विशिष्ट प्रकृति और सामुदायिक भागीदारी के कारण अलग पहचान रखती है।

 

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