Business idea: करेला की खेती कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली फसलों में से एक है। अगर इसकी खेती सही तरीके से की जाए तो किसान इससे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। करेला गर्मी और बरसात के मौसम में आसानी से उगने वाली सब्जी है, जिसकी बाजार में अच्छी मांग है। करेले की खेती निम्न विधि से की जा सकती है:

भूमि का चयन और तैयारी:

– भूमि का चयन: करेले की खेती के लिए दोमट मिट्टी या बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। इसके लिए अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी सही रहती है।

– भूमि की तैयारी: खेत की अच्छी तरह जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लें। 2-3 बार जुताई करें और मिट्टी में गोबर की खाद डालें। इस प्रक्रिया से मिट्टी उपजाऊ बनती है।

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बीज का चयन और बुवाई:

– बीज का चयन: उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करें। कुछ लोकप्रिय किस्में हैं: अर्का हरित, कोयंबटूर लॉन्ग, पूसा स्पेशल आदि।

– बुवाई का समय: बुवाई का आदर्श समय फरवरी-मार्च और जून-जुलाई है। – बीज की बुआई: बीज को 1.5-2.5 मीटर की दूरी पर 1-2 सेमी की गहराई पर बोएं। प्रति हेक्टेयर 4-5 किलोग्राम बीज पर्याप्त है।

सिंचाई और देखभाल:

– बुआई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें। गर्मियों में हर 3-4 दिन और सर्दियों में 8-10 दिन पर सिंचाई करें।

– खेत में नमी बनाए रखना जरूरी है, लेकिन जलभराव से बचें।

– खरपतवार नियंत्रण के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहना चाहिए ताकि पौधे ठीक से बढ़ सकें।

खाद और उर्वरक:

– गोबर की खाद या जैविक खाद का प्रयोग करें।

– पौधों की वृद्धि के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की जरूरत होती है। नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुआई के समय और बाकी 30-40 दिन बाद दें।

– जैविक खेती में हरी खाद का प्रयोग करें जिससे उत्पाद की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।

फसल की देखभाल और रोग नियंत्रण:

– कीट प्रबंधन: करेले के पौधों पर अक्सर कीटों का हमला होता है, जैसे कि फल मक्खी, पत्ती धब्बा रोग आदि। इन्हें जैविक तरीकों से नियंत्रित करें, जैसे कि नीम के तेल का छिड़काव करें।

– रोग नियंत्रण: करेले की फसल में कभी-कभी फफूंद जनित रोग लग जाते हैं। इनसे बचाव के लिए कॉपर आधारित फफूंदनाशकों का छिड़काव करें।

कटाई और उपज:

– फसल बुवाई के 60-70 दिन बाद तैयार हो जाती है। जब करेले का रंग हरा हो जाए और फल पूरी तरह से पक न पाए हों, तब कटाई करें।

– एक हेक्टेयर भूमि से लगभग 80-100 क्विंटल करेले का उत्पादन किया जा सकता है।

आय और लाभ:

– बाजार में करेले की अच्छी मांग है, खासकर गर्मी और बरसात के मौसम में।

– एक हेक्टेयर में खेती से कम लागत में ₹1-2 लाख तक की कमाई हो सकती है, जो बाजार की स्थिति और उत्पादन पर निर्भर करता है।

करेले की खेती के फायदे:

– कम लागत में अधिक मुनाफा: करेले की खेती की लागत अपेक्षाकृत कम है, जबकि मुनाफा अधिक है।

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