नई दिल्ली: बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के दौरान चेतेश्वर पुजारा का टीम इंडिया से बाहर होना भारतीय क्रिकेट के ड्रेसिंग रूम में चर्चा का बड़ा विषय बन गया है। टीम इंडिया के हेड कोच गौतम गंभीर ने स्पष्ट रूप से पुजारा को इस शानदार सीरीज में शामिल करने की वकालत की थी, लेकिन सिलेक्टर्स ने उनकी राय को नजरअंदाज कर दिया।

यह मुद्दा तब और बड़ा हो गया, जब भारतीय बैटिंग ऑर्डर लगातार असफल रहा। गंभीर का मानना था कि पुजारा जैसे अनुभवी बल्लेबाज, जिनका ऑस्ट्रेलिया में शानदार रिकॉर्ड रहा है, टीम को स्थिरता दे सकते थे। लेकिन सिलेक्शन कमेटी ने अलग फैसला लिया, और पुजारा इस सीरीज में कमेंट्री करते नजर आए।

मेलबर्न टेस्ट के बाद गंभीर का कड़ा रुख

मेलबर्न में बॉक्सिंग डे टेस्ट में हार के बाद भारतीय ड्रेसिंग रूम में तनाव साफ झलक रहा था। कोच गौतम गंभीर ने टीम की हार के बाद खिलाड़ियों की आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें बेहतर प्रदर्शन करने की जरूरत है। उन्होंने पुजारा को टीम में शामिल करने की अपनी मांग को भी दोहराया।

पुजारा का शानदार रिकॉर्ड और टीम इंडिया की जरूरत

चेतेश्वर पुजारा का ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ प्रदर्शन हमेशा से शानदार रहा है। 2018-19 की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में उन्होंने 1258 गेंदों पर 521 रन बनाए थे, जो टीम की जीत का बड़ा कारण बना। इसके बाद 2020-21 की सीरीज में भी उन्होंने 928 गेंदों पर 271 रन बनाकर भारतीय बल्लेबाजी को मजबूत किया था।

हालांकि, 2023 वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में खराब प्रदर्शन के बाद से उन्हें नेशनल टीम से बाहर रखा गया। इस मैच में उन्होंने केवल 14 और 27 रन बनाए थे। लेकिन पुजारा ने घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन करते हुए अपना फॉर्म बनाए रखा।

रणजी ट्रॉफी में पुजारा का जलवा

अक्टूबर 2024 में, पुजारा ने छत्तीसगढ़ के खिलाफ राजकोट में सौराष्ट्र के लिए खेलते हुए न केवल अपना 25वां रणजी ट्रॉफी शतक लगाया, बल्कि इसे अपने 18वें फर्स्ट क्लास दोहरे शतक में तब्दील कर दिया। यह उपलब्धि उन्हें डॉन ब्रैडमैन, वैली हैमंड, और पैट्सी हेंड्रेन जैसे महान बल्लेबाजों की लिस्ट में ला खड़ा करती है।

ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की राय

ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज जोश हेजलवुड ने भी पुजारा के बारे में कहा था कि “उनका टीम इंडिया बाहर होना ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के लिए राहत है।” यह बयान उनके महत्व को दर्शाता है, लेकिन भारतीय सलेक्टर्स ने इसे नजरअंदाज कर दिया।

बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2024-25 में टीम इंडिया की रणनीति और सिलेक्शन फैसले पर गंभीर सवाल उठे हैं। चेतेश्वर पुजारा की गैरमौजूदगी ने न केवल टीम की स्थिरता को कमजोर किया, बल्कि उनके अनुभव की कमी भी साफ दिखाई दी। गौतम गंभीर की बातों को नजरअंदाज करना शायद टीम इंडिया को भारी पड़ गया।