नई दिल्ली: साल 2024 रोहित शर्मा के टेस्ट करियर के लिए किसी भी लिहाज से यादगार साबित नहीं हुआ। कप्तानी के मोर्चे पर उनका प्रदर्शन भारतीय टीम के लिए निराशाजनक रहा, खासकर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में। मेलबर्न टेस्ट में 184 रनों से हार के बाद रोहित ने टेस्ट कप्तानी में एमएस धोनी के एक शर्मनाक रिकॉर्ड की बराबरी कर ली। यह रिकॉर्ड टेस्ट क्रिकेट में लगातार छह मैचों में जीत न दर्ज करने का है, जो इससे पहले 2011 में धोनी की कप्तानी में हुआ था।

भारतीय क्रिकेट इतिहास में जब असफल टेस्ट कप्तानों का जिक्र किया जाएगा, तो रोहित शर्मा का नाम भी लिया जाएगा। उनकी कप्तानी में भारत ने अब तक 24 टेस्ट मैच खेले हैं, जिसमें सिर्फ 12 में जीत हासिल हुई है। विदेशों में तो यह आंकड़ा और भी चिंताजनक है। रोहित की कप्तानी में भारतीय टीम ने विदेशों में अब तक केवल दो टेस्ट मैच जीते हैं—2023 में वेस्टइंडीज के खिलाफ और 2024 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ।

रोहित की कप्तानी में भारत ऑस्ट्रेलिया में पांच टेस्ट मैचों की सीरीज खेलने गया। हालांकि, पर्थ टेस्ट भारत ने जीता, लेकिन वह मैच जसप्रीत बुमराह की कप्तानी में खेला गया था, क्योंकि रोहित चयन के लिए उपलब्ध नहीं थे। इसके बाद एडिलेड टेस्ट भारत ने गंवाया, ब्रिसबेन टेस्ट ड्रॉ पर समाप्त हुआ, और मेलबर्न में टीम को करारी हार का सामना करना पड़ा।

मेलबर्न टेस्ट की हार के साथ, रोहित ने एमएस धोनी के 2011 में बनाए गए एक शर्मनाक रिकॉर्ड की बराबरी कर ली है। धोनी की कप्तानी में 2011 में भारतीय टीम लगातार छह टेस्ट मैचों में एक भी जीत दर्ज नहीं कर पाई थी। अब 2024 में यह इतिहास दोबारा रोहित शर्मा की कप्तानी में दोहराया गया है।

इस लिस्ट में रोहित और धोनी के बाद सौरव गांगुली का नाम आता है, जिनकी कप्तानी में भारत ने दो बार लगातार पांच टेस्ट मैचों में जीत दर्ज नहीं की थी। इसके अलावा राहुल द्रविड़ और अनिल कुंबले का नाम भी इसमें शामिल है। हालांकि, विराट कोहली का नाम इस शर्मनाक लिस्ट में नहीं है, जो उनकी कप्तानी में भारतीय टेस्ट टीम की सफलता को दर्शाता है।

मेलबर्न टेस्ट की हार ने भारत की वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) के फाइनल में पहुंचने की उम्मीदों को झटका दिया है। अगला टेस्ट सिडनी में 3 जनवरी से खेला जाना है। भारत को फाइनल की दौड़ में बने रहने के लिए यह मैच हर हाल में जीतना होगा।

यदि भारत सिडनी टेस्ट जीतता भी है, तो भी फाइनल में पहुंचने का रास्ता आसान नहीं होगा। टीम को ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका के बीच होने वाली टेस्ट सीरीज के परिणाम पर निर्भर रहना होगा।