Bhadrapada Purnima 2024: पूर्णिमा का त्यौहार भी काफी ज्यादा धूमधाम के साथ मनाया जाता है। ये हिन्दू धर्म के हिसाब से मुख्य फेस्टिवल्स में से एक है।इतना ही नहीं ये भी कहा जाता है कि पूर्णिमा देवी-देवताओं की प्रिय तिथियों में से भी एक है। पूर्णिमा के शुभ अवसर के दिन जो भी ब्रह्मा मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान करते हैं उनक सारे पाप धुल जाते हैं और जीवन में आने वाली सभी तरहों की समस्याएं दूर हो जाती हैं। व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है, ऐसा भी कहा जाता है।

बताते चलें कि पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा सोलह कलाओं में निवास करता है। चन्द्रमा की रोशनी से अमृत की किरणें लगातार बरसती हैं। ऐसे में चाँद अर्ध्य (Chandra Arghya) देने वालों को अमृत के गुणों की प्राप्ति होती है। वहीं, लक्ष्मी जी कि तिथि होने से इस दिन को काफी ज्यादा धनदायक माना गया है। साल 2024 में भाद्रपद पूर्णिमा दो दिन धूमधाम के साथ मनाई जाएगी। इतना ही नहीं, साथ ही कई सारे दुर्लभ संयोग भी बनेंगें।

भाद्रपद पूर्णिमा मनाई जाएगी दो दिन 17 और 18 सितम्बर को:

बताते चलें कि भाद्रपद पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 17 सितम्बर 2024 की सुबह 11: 44 से होगी। जो कि 18 सितम्बर सुबह 08:04 तक रहेगी। ऐसे में इन दोनों ही दिनों में पूर्णिमा के त्यौहार को मनाया जा सकता है। लेकिन अगर माँ लक्ष्मी जी पूजा अर्चना करना चाहते हैं तो तो पहले दिन रात्रि काल के दौरान करना शुभ होगा।

वहीं, ये मान्यता है कि जो जातक इस शुभ दिन में भगवान विष्णु जी की पूजा करेंगें, उनके ऊपर माँ लक्ष्मी और भगवान विष्णु जी की विशेष कृपा प्राप्त होगी। वहीं, भादों की पूर्णिमा से पितृ पक्ष (Pitru Paksha) भी शुरू हो रहे हैं।

भाद्रपद पूर्णिमा के शुभ दिन बनेंगें ये ये अध्बुध संयोग

* धृति योग: 16 सितम्बर 2024, सुबह 11:42- 17 सितम्बर 2024, सुबह 07.48

* रवि योग: सुबह 06.07 – दोपहर 01.53

* त्रिगही योग: 17 सितम्बर को शुक्र, सूर्य और कन्या, केतु राशि में विराजमान होंगें। इसी से त्रिग्रही योग बनेगा।

* शुक्रादित्य योग: भादों पूर्णिमा पर सूर्य और शुक्र का कन्या राशि होना, शुक्रादित्य योग का निर्माण करेगा। इतना ही नहीं धन, सफलता, शुक्र सौंदर्य और सुख के करकर गृह हैं। इनकी कृपा से जीवन काफी ज्यादा ख़ुशी-ख़ुशी बीतेगा और आनंदमयी रहता है।

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भाद्रपद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी जी की पूजा का ये होता है महत्व

बताते चलें कि पूर्णिमा की शाम और रात्रि को माँ लक्ष्मी जी की विधि-विधान से पूजा अर्चना करने की परंपरा है। कहा जाता है कि जो भी इस दिन माँ लक्ष्मी जी पूजा करेगा उसे धन-दौलत की बरकत दिन दो गुनी होगी। वहीं, शास्त्रों के अनुसार, इस शुभ दिन में कनकधारा श्रोत का विधि-विधान से पाठ करना ही अत्यंत शुभ और अच्छा माना गया है।

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