थायरॉइड एक इंसान के गले के निचले हिस्से में स्थित ग्रंथि है जो हॉर्मोन्स का निर्माण करता है। गर्भावस्था के दौरान एक महिला के शरीर में थायरॉइड हार्मोन्स की जरुरत सामान्य से ज्यादा होती है। इस हॉर्मोन का मुख्य कार्य मस्तिष्क, तंत्रिका तंत्र, शरीर का तापमान, दिल की धड़कन आदि को नियंत्रित रखना है। प्रेगनेंसी में जिस तरह इसकी आवश्यकता बढ़ जाती है उसे यदि समय रहते पूरा नहीं किया जाए तो होने वाले बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है।

थायरॉइड हॉर्मोन की कमी से गर्भावस्था में किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है?

आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर तथा स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा इस विषय में बताती है कि थायरॉइड हॉर्मोन की कमी से एक गर्भवती महिला को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वैसे तो थायरॉइड 2 तरह की होती है। सामान्य भाषा में बोला जाए तो एक स्थिति होती है हाइपरथायरायडिज्म की जिसमे किसी महिला का वजन सामान्य से कम होने लगता है और गर्भपात का खतरा भी बना रहता है। वहीँ दूसरी स्थिति होती है हायपोथायरायडिज्म की जिसमे महिला के शरीर में टीएसएच का स्तर बढ़ जाता है। जिसकी वजह से थकान, वजन बढ़ना, गैस बनना, कब्ज़ जैसी शिकायत बनी रहती है।

भारत में थायरॉइड से पीड़ित लोगों की बढ़ती संख्या

एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 4 करोड़ लोगों को थायरॉइड की समस्या है, जिसमे से 80 प्रतिशत महिलाएं हैं। यह रोग एक स्वस्थ दिखने वाले इंसान में भी हो सकता है जिसके बारे में ज्यादातर लोगों को पता भी नहीं होता है। इसलिए किसी भी लक्षण के दिखाई देने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान किसी भी महिला को विशेष रूप से अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए थायरॉइड की जांच जरूर करवानी चहिये।

प्रेगनेंसी के दौरान थायरॉइड हॉर्मोन की क्या भूमिका होती है और इसका उपचार कैसे किया जा सकता है?

प्रेगनेंसी के शुरूआती दिनों में किसी बच्चे के विकास के लिए थायरॉइड हॉर्मोन की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। गर्भ में पल रहे एक बच्चे के सर्वांगीण विकास के लिए माँ का स्वस्थ होना बहुत जरुरी है। वैसे तो एक बच्चे का थायरॉइड ग्लैंड 4 महीने बाद विकसित होने लगता है लेकिन उससे पर्याप्त मात्रा में हॉर्मोन्स का निर्माण नहीं हो पाता है इसलिए बच्चे के विकास की जिम्मेदारी पूर्णतः गर्भवती महिला पर होती है। इसलिए उनको नियमित जांच करवाती रहनी चाहिए और डॉक्टर से सलाह लेकर ही दवाइयों का सेवन करना चाहिए।

थायरॉइड हॉर्मोन का स्तर कम या ज्यादा होना आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता है। दोनों ही स्थिति एक गर्भवती महिला के लिए हानिकारक हो सकती है। ऐसे में गर्भपात का खतरा बना रहता है। कई मामलों में संभावित समय से पहले डिलीवरी करवानी पड़ती है और बच्चे के मस्तिष्क का विकास अच्छे से नहीं हो पाता है। लेकिन उचित उपचार और संतुलित जीवनशैली अपनाकर थायरॉइड को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके उपचार के लिए आयोडीन थेरेपी का इस्तेमाल भी किया जाता है। गर्भवती महिलों को पर्याप्त मात्रा में पानी जरूर पीना चाहिए जिससे उनका शरीर हाइड्रेटेड रहे। अपने भोजन में विटामिन ए की मात्रा को बढ़ाएं। इस तरह आप थायरॉइड हॉर्मोन को नियंत्रित कर सकते हैं।

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Snehlata Sinha

I started my media career with Radio Dhamal, where I honed my skills in radio broadcasting. After that, I spent two years at News24 and E24, gaining valuable experience in news reporting and journalism....