भारत के इतिहास में मुग़लों की एक खास जगह है । मुग़लों ने कई सदी तक भारत पर राज किया । कई मुग़ल शासक ऐसे हुए जिनके बेहतरीन शासन व्यवस्था के लिए लोग आज भी उन्हे याद  करते हैं । वही कई बादशाह ऐसे भी हुए, जिन्हें उनकी नाकामी की वजह से याद किया जाता है । 

मुग़ल महलों की जब बात होती है तब उनके महल के अंदर हरम की बात जरूर होती थी । इसकी शुरुआत बाबर ने किया था । अकबर के समय में तो मुग़ल हरम में 5 हजार महिलाएं रहती थी । राज महल की महिलाओ की सेवा के लिए इसमे हजारों की संख्या में नौकरानियाँ भी रहती थी । 

लेखन प्राणनाथ चोपड़ा अपनी किताब ‘सम आसपैक्ट आफ सोशल लाइफ डयूरिंग द मुगल एज’ में लिखते हैं कि हरम में अलग-अलग धर्म और संस्कृति की महिलाएं रहती थीं।  जो बादशाह और उनके परिवार की हर जरूरत का ख्याल रखने का काम करती थीं।  शर्त थी कि वो परदें में रही रहेंगी। परदे में रहने के कारण कई दासियां ऐसी भी थी जिनकी पूरी जिंदगी बीत जाती थी पर वो नजर भरकर बादशाह को देख नहीं पाती थीं। 

सुरक्षा के लिए विदेश से आती थी लड़कियां 

चूंकि हरम में बादशाह के अलावा किसी अन्य मर्द को घुसने की अनुमति नहीं थी, इसलिए अंदर की सुरक्षा का काम भी औरते ही संभालती थीं। इसके लिए हिन्दुस्तान के बाहर से मजबूत कद-काठी वाली औरतें बुलवाई जाती थीं।  वो ऐसी औरतें होती थीं जिन्हें हिन्दुस्तानी जुबान आती ही नहीं थी और न ही किसी से मिलने और न ही बात करने में दिलचस्पी लेती थीं. इसलिए इनकी तैनाती की जाती थी। 

इतनी मिलती थी तनख्वाह 

मुगलों की तरह हरम को व्यवस्थित रखना किसी दूसरी सल्तनत के राजा के लिए आसान नहीं था।  उसकी सबसे बड़ी वजह थी पैसा। हरम में बड़े पैमाने पर रखी गईं औरतों की तनख्वाह के लिए बेशुमार दौलत की जरूरत होती है। उस दौर में बड़े पद पर तैनात एक महिला को 1600 रुपय महीने तक मिलते थे, यह वो दौर था जब 1 तोला सोना मात्र 10 रुपये में आ जाता था। यानि ये लोग 160 टोल सोना खरीद सकते थे । आज के दौर में एक तोले सोने की कीमत 80 हजार के करीब है । तो आज के संदर्भ में बात की जाए तो इन दसियों को एक करोड़ से ऊपर की तनख्वाह हर महीने मिलती थी । 

 औरतों की निगरानी करने वाली दरोगा को इतना वेतन मिलता था कि हर महीने किलोभर सोना खरीदा जा सके।  कहा जाता है कि उस दौर में 5 रुपये में पूरे महीनेभर का खर्च आराम से चल जाता था। 

 

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